कुछ विशेष मामलों में नियमों को किस प्रकार से दरकिनार किया जा सकता है ये अगर आपको जानना है तो पेयजल निगम से बेहतर दूसरा कोई उदहारण नही हो सकता पहले भी पेयजल निगम इस तरह के मामलो में चर्चा में आ चुका है और एक बार फिर वही बात दोहरा रहा है की कैसे पेयजल निगम के अधिकारी अपने चहेतों को लाभ पहुंचने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
शासन एवं सरकार के आदेशों की अवहेलना करना तो यहां आम बात है। बता दे की वर्तमान में उत्तराखंड अनुसूचित जाति एवं जनजाति संगठन के अनुसार मुख्य अभियंता मुख्यालय द्वारा 61 अनुसूचित जाति के कनिष्ठ अभियंताओं को दरकिनार कर वरिष्ठता में काफी नीचे सामान्य जाति के कनिष्ठ अभियंता जयंक पांडे को उन्हीं के कार्यालय में सहायक अभियंता का प्रभार प्रदान कर दिया गया है।
जबकि सामान्य जाति के जयंक पांडेय से वरिष्ठ अनुसूचित जाति के कई अभियंता क्रमशः राजेंद्र लाल, पुष्कर आर्य, देवेंद्र आर्य, शीतल राठौर इत्यादि के द्वारा विभागीय कार्य हित में अपने वर्तमान तैनाती कार्यालय में ही सहायक अभियंता का पदभार प्रदान किए जाने हेतु मुख्यालय से अनुरोध किया गया था।
परंतु मुख्यालय द्वारा अनुसूचित जाति के अभियंताओ के स्थान पर सामान्य जाति के कनिष्ठ अभियंता जयंक पांडे को सहायक अभियंता का प्रभार प्रदान कर दिया गया है। जो की सरासर अनुसूचित जाति के अभियंताओं के उत्पीड़न व उनके अधिकारों का हनन है।
संगठन द्वारा मुख्य अभियंता मुख्यालय से उक्त प्रकरण पर नियामानुसार कार्रवाई करने हेतु पत्र प्रेषित किया गया है जिसमे उनके द्वारा नियामानुसार कार्रवाई न किया जाने पर संगठन के द्वारा सचिव पेयजल तथा मुख्यमंत्री से उक्त प्रकरण पर हस्तक्षेप किए जाने का अनुरोध किए जाने की बात की जा रही है
उक्त प्रकरण को देख तो कही न कही पेयजल निगम की मंशा पर सवालिया निशान उठ जाते है
हालांकि पूरा मामला एक जांच का विषय है