नई दिल्ली में 23-24 सितंबर को दो दिवसीय 10वां राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र सम्मेलन मंगलवार को लोक सभा अध्यक्ष आदरणीय ओम बिड़ला के अध्यक्षता में संपन्न हुआ और इसमें उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व किया विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूडी भूषण ने।10वां राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र सम्मेलन में ऋतु खण्डूडी भूषण ने भी भाग लिया और सम्मेलन के विषय “सतत और समावेशी विकास” विषय तथा उत्तराखंड के स्थानीय मुद्दों को ज़ोरदार ढंग से उठाया।
सम्मेलन में ऋतु खण्डूडी भूषण ने इस बात पर जोर दिया कि सदन की परंपराओं और प्रणालियों में हमारे मूल्यों की झलक दिखनी चाहिए और नीतियों और कानूनों में भारतीयता की भावना को बढ़ावा देना चाहिए ताकि ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के सपने को साकार किया जा सके। साथ ही उन्होंने नए सदस्यों को सदन की कार्यप्रणाली, गरिमा और शिष्टाचार बनाए रखने तथा सार्वजनिक मुद्दों को उठाने के लिए विधायी साधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के बारे में व्यापक प्रशिक्षण दिए जाने पर जोर दिया।
सम्मेलन के दौरान ऋतु खण्डूडी ने खास तोर पर महिलाओं की बात उठाते हुए कहा की लंबे जमाने से महिलाएं किसी भी समाज के एक कमजोर कड़ी रही हैं जबकि उनकी भूमिका घर और समाज में बराबर की होनी चाहिए थी। लेकिन 2014 के बाद मोदी सरकार ने उनके बारे में सोंचा और उन्हें उनका सम्मान दिया। चाहे वो शौचालय हो या उज्ज्वला योजना हो ऐसे कई योजनाओं से सरकार ने “आधी आबादी” के उत्थान के लिए कार्य किया। इसी क्रम में उत्तराखंड सरकार ने भी समान नागरिक संहिता कानून (UCC) का जिक्र करते हुए बताया कि यह कानून महिलाओं को संपत्ति के अधिकार आदि देकर उन्हें मजबूती प्रदान करता है। यह कदम न केवल लैंगिक समानता को बढ़ावा देता है, बल्कि समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान भी स्थापित करता है।सबोधन के दौरान, विधानसभा अध्यक्ष ने पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “हमारे पर्यावरण की रक्षा करना आज की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। यह न केवल हमारे भविष्य के लिए आवश्यक है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक सुरक्षित और स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करता है।
ऋतु खण्डूडी ने कहा कि 2047 की विकसित भारत के संकल्प को पूर्ण करने में देश की महिलाओं की मजबूत भूमिका रहेगी। उन्होंने विधायिका की केंद्रीय भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि सही नीतियों और ठोस कार्यवाही के माध्यम से ही सतत और समावेशी विकास के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विधान मंडलों के 46 पीठासीन अधिकारी, 25 विधानसभा अध्यक्ष और 14 उपाध्यक्ष ने सम्मेलन में भाग लिया।