उत्तराखंड के विकास में दुकानदारों का विकास करना एक बड़ी चुनौती है। प्रदेश में तेजी से बढ़ते कोचिंग और बेहतर संपर्क मार्ग के उद्देश्य से स्टील सेतु का निर्माण अत्यंत महत्वपूर्ण है। पारंपरिक पुलों की तुलना में यह पुल कम समय में तैयार हो जाते हैं और आपात स्थिति में बहुत होते हैं।
उक्त बात प्रदेश के लोक निर्माण, पर्यटन, सचिवालय, सचिवालय निर्माण, ग्राम जलागम, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने शनिवार को हरिद्वार-बाईपास रोड स्थित होटल शेफर्ट झील प्रीमियर में इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ ब्रिज एंड एल अमेरीका के भारतीय राष्ट्रीय ग्रुप ( आईएनजी एवं आईएबीएसई), सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार, नई दिल्ली एवं लोक निर्माण विभाग, उत्तराखंड के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय “स्टील सेतु के डिजाइन, निर्माण एवं रखरखाव” कार्यशाला में आयोजित किया गया। उन्होंने कहा कि स्टील सेतु युवाओं के साथ-साथ मजबूत और जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देने में सक्षम होते हैं। स्टील सेतु के मापदंडों में बदलाव की आवश्यकता भी हो सकती है और इसकी लागत पर भी ध्यान दिया जा सकता है।
लोक निर्माण मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि इस दौरान कई बार पुराने वास्तुशिल्प मार्ग क्षतिग्रस्त हो गए और अब इस प्रकार के स्थायी सेतु बनाए जा रहे हैं। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में राज्य के 13 जिलों में राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य मार्ग, मुख्य जिला और ग्रामीण सड़कों की 9192 सड़कों की कुल लंबाई 46742 किमी विशाल नेटवर्क है। इन नवीनीकरणों में कुल 2238 मोटर सेतु, 31 फुटओवर सेतु, 04 मेटल ओवर ब्रिज, 24 रोड ओवर ब्रिज और 1021 पैदल यात्री सेतु का निर्माण किया गया है, जो कि बैचलर लोक निर्माण विभाग के अधीन है। पुराने स्टील सेतु के साथ-साथ लंबी अवधि तक सेतु सुरक्षित एवं उपयोगी बना हुआ है, इसके लिए सेतुओं के वास्तुशिल्प में नवीन प्रौद्योगिकी पर चर्चा होगी ऐसी मुझसे अपेक्षा है।
महाराज ने कहा कि “स्टील सेतु के डिजाइन, निर्माण एवं रख-रखाव” में छात्रावास के लिए छात्रावास का चयन करने के लिए पराई निगम और आईएबीएसई के सहयोगियों ने कहा कि निश्चित रूप से इस छात्रावास में हुई चर्चा के परिणाम स्वरूप सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।
वर्कशॉप के दौरान केंद्रीय राज्य सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री अजय टम्टा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे मंत्रालय द्वारा पूरे देश में रेलवे भी स्टील पुल और बिल्डिंग में पार्टिसिपेट किया जाता है जिसमें हर साल देश के लिए नई तकनीकी जानकारी शामिल होती है। विभिन्न विचारधाराओं में कार्यशालाएँ आयोजित की जाती हैं। इस बार इसके लिए हमारे राज्य उत्तराखंड को चुना गया है जो हमारे लिए स्वर की बात है। इस के कार्यशाला माध्यम से हमारे वैज्ञानिकों को विश्व के अन्य देशों में अपनायी जा रही तकनीक की जानकारी प्राप्त होने के साथ-साथ उसे सीखने का अवसर भी मिलेगा।
इस उद्यम पर विश्वास (सड़क विकास) विशेष सचिव, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार तथा आई एनजी-आईएबीएसई के अध्यक्ष डेमोक्रेट सारंगी, एआई एनजी-आईएबीएसई के सचिव बी.के. सिन्हा, वैज्ञानिक समिति के अध्यक्ष डॉ. आरआर सुब्बाराव, लोक निर्माण विभाग के प्रमुख कलाकार एवं विभाग अध्यक्ष दीपक कुमार यादव मोर्थ के एडीजी सुदीप चौधरी राष्ट्रीय राजमार्ग के मुख्य कलाकार दयानंद आदि उपस्थित थे।