वनाग्नि की घटनाओं को नियंत्रित करने हेतु सरकार व वन विभाग सदैव ही गंभीर रहा है,चूंकि फायर सीजन चल रहा है ऐसे में वनग्नि नियंत्रण हेतु वनविभाग लगातार प्रयास कर रहा है इसी क्रम में आज वन  मुख्यालय स्थित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कक्ष में वन मंत्री की अध्यक्षता में वनाग्नि प्रबंधन और नियंत्रण पर महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक हुई। इस बैठक में प्रमुख वन संरक्षक  वन्यजीव एवं आपदा प्रबंधन सहित समस्त वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। बैठक का मुख्य उद्देश्य वनाग्नि की घटनाओं को रोकने और बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करना था।

बैठक में प्रमुख वन संरक्षक द्वारा बताया गया कि वर्तमान वनाग्नि सत्र में उत्तराखण्ड पूरे देश में 19वें स्थान पर है, जो पिछले वर्षों की तुलना में काफी बेहतर स्थिति दर्शाता है। यह वन विभाग, प्रशासन और आम जनता के संयुक्त प्रयासों का ही परिणाम है कि अब तक की वनाग्नि घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है।

इस दौरान सभी प्रभागीय वनाधिकारियों को निर्देशित किया गया कि चीड़ बाहुल्य क्षेत्रों से पिरूल एकत्रीकरण की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया जाए। इसके लिए शासन द्वारा पिरूल एकत्रीकरण दरों में वृद्धि की गई है। इसे जन-जन तक पहुँचाने के लिए प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार किया जाएगा।

बैठक में निर्णय लिया गया कि पिरूल एकत्रीकरण के लिए विभिन्न स्थानों पर संग्रहण केंद्र स्थापित किए जाएंगे। उद्योग विभाग के साथ समन्वय कर फॉरवर्ड लिंकेंज की प्रक्रिया को सुदृढ़ किया जाएगा, जिससे पिरूल का बेहतर उपयोग सुनिश्चित किया जा सके। इससे न केवल वनाग्नि की घटनाओं में कमी आएगी बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

वन विभाग ने बताया कि सभी वन चौकियों और स्टेशनों पर वनाग्नि शमन उपकरण और उपयुक्त मानव संसाधन की पर्याप्त व्यवस्था की जाएगी। इसके अलावा, आवश्यकतानुसार फायर वॉचरों की तैनाती की जाएगी और उनका सामूहिक बीमा भी सुनिश्चित किया जाएगा। इस प्रक्रिया को मंडलवार नोडल अधिकारियों के माध्यम से पूरा किया जाएगा।

बैठक में इस बात पर विशेष जोर दिया गया कि वनाग्नि की रोकथाम में जन सहभागिता बढ़ाई जाए। ग्राम पंचायत स्तर पर वनाग्नि प्रबंधन समितियों का गठन किया जाएगा और उन्हें नियमानुसार प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी। इससे स्थानीय लोगों की भागीदारी बढ़ेगी और वनाग्नि नियंत्रण में मदद मिलेगी। वनाग्नि रोकथाम के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के माध्यम से बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार किया जाएगा। वन मुख्यालय में मीडिया संयोजक या प्रभारी अधिकारी नामित किया जाएगा, जो इस पूरी प्रक्रिया का संचालन सुनिश्चित करेगा।

बैठक में सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि वनाग्नि प्रबंधन को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सभी स्तरों पर सतर्कता बरती जाए। वनाग्नि नियंत्रण केवल वन विभाग की जिम्मेदारी नहीं बल्कि पूरे समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। यदि सभी नागरिक सतर्क रहें और सहयोग करें, तो वनों को आग से बचाया जा सकता है।

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